tumhein bas yah bataana chahta hoon | तुम्हें बस ये बताना चाहता हूँ

  - Fahmi Badayuni

tumhein bas yah bataana chahta hoon
main tumse kya chhupaana chahta hoon

kabhi mujhse bhi koi jhooth bolo
main haan mein haan milaana chahta hoon

adaakaari bada dukh de rahi hai
main sachmuch muskurana chahta hoon

ameeri ishq ki tumko mubarak
main bas khaana kamaana chahta hoon

main saare shahar ki baisakhiyon ko
tere dar par nachana chahta hoon

mujhe tumse bichadna hi padega
main tumko yaad aana chahta hoon

तुम्हें बस ये बताना चाहता हूँ
मैं तुम से क्या छुपाना चाहता हूँ

कभी मुझ से भी कोई झूठ बोलो
मैं हाँ में हाँ मिलाना चाहता हूँ

ये जो खिड़की है नक़्शे में तुम्हारे
यहाँ मैं दर बनाना चाहता हूँ

अदाकारी बहुत दुख दे रही है
मैं सच-मुच मुस्कुराना चाहता हूँ

परों में तीर है पंजों में तिनके
मैं ये चिड़िया उड़ाना चाहता हूँ

लिए बैठा हूँ घुंघरू फूल मोती
तिरा हँसना बनाना चाहता हूँ

अमीरी 'इश्क़ की तुम को मुबारक
मैं बस खाना-कमाना चाहता हूँ

मैं सारे शहर की बैसाखियों को
तिरे दर पर नचाना चाहता हूँ

मुझे तुमसे बिछड़ना ही पड़ेगा
मैं तुमको याद आना चाहता हूँ

  - Fahmi Badayuni

Aah Shayari

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