0

तुम्हारे ख़्वाब मिरे साथ साथ चलते हैं - Farhat Abbas Shah

तुम्हारे ख़्वाब मिरे साथ साथ चलते हैं
कई सराब मिरे साथ साथ चलते हैं

तुम्हारा ग़म ग़म-ए-दुनिया उलूम-ए-आगाही
सभी अज़ाब मिरे साथ साथ चलते हैं

इसी लिए तो मैं उर्यानियों से हूँ महफ़ूज़
बहुत हिजाब मिरे साथ साथ चलते हैं

न जाने कौन हैं ये लोग जो कि सदियों से
पस-ए-नक़ाब मिरे साथ साथ चलते हैं

मैं बे-ख़याल कभी धूप में निकल आऊँ
तो कुछ सहाब मिरे साथ साथ चलते हैं

- Farhat Abbas Shah

Bekhayali Shayari

Our suggestion based on your choice

More by Farhat Abbas Shah

As you were reading Shayari by Farhat Abbas Shah

Similar Writers

our suggestion based on Farhat Abbas Shah

Similar Moods

As you were reading Bekhayali Shayari