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गगन बजाने लगा जल-तरंग फिर यारो - Gopaldas Neeraj

गगन बजाने लगा जल-तरंग फिर यारो
कि भीगे हम भी ज़रा संग संग फिर यारो

किसे पता है कि कब तक रहेगा ये मौसम
रखा है बांध के क्यूंमन को रंग फिर यारो

घुमड़ घुमड़ के जो बादल घिरा अटारी पर
विहंग बन के उड़ी इक उमंग फिर यारो

कहीं पे कजली कहीं तान उट्ठी बिरहाकी
हृदय में झांक गया इक अनंग फिर यारो

पिया की बांह में सिमटी है इस तरह गोरी
सभंग श्लेष हुआ है अभंग फिर यारो

जो रंग गीत का 'बलबीर'-जी के साथ गाया
न हम ने देखा कहीं वैसा रंग फिर यारो

- Gopaldas Neeraj

Paani Shayari

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