ये आशिक़ जिसके हिस्से आएगा
अपनी क़िस्मत में वो इतराएगा
अपनी हरकत पर रोएगा हर-दम
उल्फ़त में मुझको जो ठुकराएगा
मुझको ठुकराने वाला सच्ची में
रोएगा तड़पेगा पछताएगा
उसकी तो होगी बस बल्ले बल्ले
मुझ दीवाने को जो भी पाएगा
मेरा उसका मिलना होगा जिस दिन
बादल बारिश जमकर बरसाएगा
जो भी जाँ देगा अपने दिलबर पर
वो ही सच्चा आशिक़ कहलाएगा
माना ये तुझको ग़म भारी है पर
बस कर दे अब कितना मुस्काएगा
थोड़ा कम ही उड़ वो आशिक़ प्यारे
वरना गिर कर तू मुँह की खाएगा
हर उल्फ़त करने वाला उल्फ़त में
इक दिन 'सागर' की क़समें खाएगा
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