मुझे भी पता है तुम्हें भी पता है
ज़माना हमेशा से सच का रहा है
मगर इस ज़माने में देखा है मैंने
सुखी है वही झूठ जो बोलता है
कमाया बहुत है यहाँ नाम मैंने
किसी को नहीं गाँव में कुछ पता है
मुझे शाइरी ने दिया नाम लेकिन
कहाँ नाम से घर किसी का चला है
वही बात मत कह जो सब कह चुके हैं
सुना पास तेरे अगर कुछ नया है
मुहब्बत वफ़ा बेवफ़ा इश्क़ उल्फ़त
तुम्हारी ग़ज़ल में कहाँ कुछ नया है
मिरे शेर सुन के वो कहती है सब से
जो सीखा है मुझसे वही कह रहा है
मुझे भी कभी कामयाबी मिलेगी
इसी आस ने मुझको ज़िंदा रखा है
नहीं देखता अब मुहब्बत से कोई
तुम्हारा है सागर सभी को पता है
Read Full