naya ik rishta paida kyun karein ham | नया इक रिश्ता पैदा क्यूँ करें हम

  - Jaun Elia

naya ik rishta paida kyun karein ham
bichadna hai to jhagda kyun karein ham

khamoshi se ada ho rasm-e-doori
koi hangaama barpa kyun karein ham

ye kaafi hai ki ham dushman nahin hain
wafa-daari ka daava kyun karein ham

wafa ikhlaas qurbaani mohabbat
ab in lafzon ka peecha kyun karein ham

hamaari hi tamannaa kyun karo tum
tumhaari hi tamannaa kyun karein ham

kiya tha ahad jab lamhon mein ham ne
to saari umr ifa kyun karein ham

nahin duniya ko jab parwa hamaari
to phir duniya ki parwa kyun karein ham

ye basti hai musalmaanon ki basti
yahan kaar-e-masiha kyun karein ham

नया इक रिश्ता पैदा क्यूँ करें हम
बिछड़ना है तो झगड़ा क्यूँ करें हम

ख़मोशी से अदा हो रस्म-ए-दूरी
कोई हंगामा बरपा क्यूँ करें हम

ये काफ़ी है कि हम दुश्मन नहीं हैं
वफ़ा-दारी का दावा क्यूँ करें हम

वफ़ा इख़्लास क़ुर्बानी मोहब्बत
अब इन लफ़्ज़ों का पीछा क्यूँ करें हम

हमारी ही तमन्ना क्यूँ करो तुम
तुम्हारी ही तमन्ना क्यूँ करें हम

किया था अहद जब लम्हों में हम ने
तो सारी उम्र ईफ़ा क्यूँ करें हम

नहीं दुनिया को जब पर्वा हमारी
तो फिर दुनिया की पर्वा क्यूँ करें हम

ये बस्ती है मुसलामानों की बस्ती
यहाँ कार-ए-मसीहा क्यूँ करें हम

  - Jaun Elia

Shehar Shayari

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