मेरा ख़ज़ाना ज़माने के हाथ जा न लगे
तुझे किसी की किसी को तेरी हवा न लगे
मैं एक जिस्म को चखना तो चाहता हूँ मगर
कुछ इस तरह कि मेरे मुँह को ज़ाएका न लगे
हमें लगा सो लगा ख़ुद-अज़िय्यती का नशा
दुआ करो कि तुम्हें बद्दुआ दुआ न लगे
दुआ करो कि किसी का न दिल लगे तुमसे
लगे तो और किसी से लगा हुआ न लगे
हसद किया हो तेरे रिज़्क़ से कभी मैंने
तो मुझको अपनी कमाई हुई ग़िज़ा न लगे
हमें ही इश्क़ की तशहीर चाहिए वरना
पता न लगने दिया जाए तो पता न लगे
पड़ा रहा मैं किसी और ही बखेड़े में
बहुत से क़ीमती जज़्बे किसी दिशा न लगे
बना रहा हूँ तसव्वुर में एक मुद्दत से
एक ऐसा शहर जिसे कोई रास्ता न लगे
हमें तो उससे मुहब्बत है और बेहद है
अगर उसे नहीं लगता तो क्या हुआ न लगे
किसे ख़ुशी नहीं होती सराहे जाने की
मगर वो दोस्त ही क्या है जो आइना न लगे
कभी कभार जो रखने लगे ज़बाँ का भरम
वो अब भी क्या नहीं लगता मजीद क्या न लगे
यही कहूँगा कि 'जव्वाद' बच बचा के ज़रा
अगर किसी का रवैया बरादरा न लगे
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