सुनी को अनसुना करके न उससे कुछ कहे कोई

  - Karal 'Maahi'

सुनी को अनसुना करके न उससे कुछ कहे कोई
बिना मेरे अगर वो ख़ुश रहे तो ख़ुश रखे कोई

अगर नादानियाँ कर वो चहक उट्ठे महक उट्ठे
समझदारी फिर उस पर लादने को क्यूँ बके कोई

कहीं मुरझा न जाए हार कर मासूम का चेहरा
कभी घोड़ा कभी हाथी कभी बन्दर बने कोई

  - Karal 'Maahi'

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