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आर या पार का इंतिज़ार है - Krishnakant Kabk

आर या पार का इंतिज़ार है
तेरे दीदार का इंतिज़ार है

बेसुरे गीत हैं हम सब और हमें
तेरी झंकार का इंतिज़ार है

ज़िन्दगी ने जिताया है इस कदर
अब हमें हार का इंतिज़ार है

कश्मकश ये कि इतवार के ही दिन
हमको इतवार का इंतिज़ार है

दो दफ़ा कह दिया है "कुबूल हैं"
तीसरी बार का इंतिज़ार है

- Krishnakant Kabk

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