दिल की उदासी जो चेहरे की हँसी में चुप छुप जाती है - KUNAL

दिल की उदासी जो चेहरे की हँसी में चुप छुप जाती है
लाख छुपाएँ उसको पर वो शाइरी में निकल आती है

साथी बनकर रहती है इक डायरी मेरे कमरे में
लिख देता हूँ सब बातें जो ज़बाँ नहीं कह पाती है

इनहेलर की जगह रक्खी है इक फोटो बटवे में सँभाल
लगा लबों से लेता हूँ जब साँस कभी रुक जाती है

शॉल टॅंगा है खूँटी पर जो भूल गया था कोई कभी
ओढ़ के सोता हूँ मैं फिर जब नींद कभी नईं आती है

देख तेरे जीते जी हूँ मैं और किसी की माशूक़ा
देख कुनाल मुहब्बत में ख़ुदकुशी यूँ करली जाती है

- KUNAL
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