दोस्त आए और बस मतलब तलक ज़िंदा रहे - Lalit Pandey

दोस्त आए और बस मतलब तलक ज़िंदा रहे
पर तुम्हारे ग़म ज़वाल-ए-शब तलक ज़िंदा रहे

कोई इक दिन हमको भी आवाज़ देने आएगा
बस इसी उम्मीद में हम अब तलक ज़िंदा रहे

मुझ को उसके बाद बस सिगरेट ही छूती रही
उस के भी रुख़सार मेरे लब तलक ज़िंदा रहे

ये वफ़ा मैं अब अकेले तो निभाने से रहा
प्यास का मारा परिंदा कब तलक ज़िंदा रहे

रात भर जागे रहे फ़ुर्क़त में जाया उम्र की
शौक़ से मरते रहे हम जब तलक ज़िंदा रहे

- Lalit Pandey
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