लाना नहीं था उसको मगर ले के आ गया
मेरे लिए वो लाल-ओ-गुहर ले के आ गया
मेरे लिए ख़ुशी की ख़बर ले के आ गया
उल्फ़त की इक नई सी नज़र ले के आ गया
होश-ओ-हवास में थे मगर चुप थी ये ज़बाँ
गुल की जगह वो सुर्ख़ हजर ले के आ गया
दम घुट रहा था तीरगी से दिल भी था उदास
मेरे लिए वो नूर-ए-सहर ले के आ गया
आज़ाद हसरतों से न हो पाए तब तलक
यकलख़्त मौत की वो ख़बर ले के आ गया
तारों से माँग भरने की ख़्वाहिश थी वो मगर
मेरे लिए तो शम्स-ओ-क़मर ले के आ गया
मुद्दत से मुंतज़िर था जो 'मीना' तेरे लिए
वो अपनी ज़िंदगी मेरे घर ले के आ गया
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