दिल के भँवर में साथ डूबें तू किनारा मत बना

  - Meenakshi Masoom

दिल के भँवर में साथ डूबें तू किनारा मत बना
तू दूर रखकर मौज से अब मुझको प्यासा मत बना

पर्वत भी छोड़ा मुब्तिला हो कर मुहब्बत में तिरी
मुझको तू रुसवाई के डर से बे-सहारा मत बना

अल्हड़ नदी सी मैं चली आई हूँ बल खाती हुई
ख़ुद में समाने दे मुझे कोई बहाना मत बना

लहरें बढ़ा के खींच ले आग़ोश में अपनी मुझे
सहरा फ़ना कर दे मुझे ऐसा नसीबा मत बना

सागर मिरे तुझ से मिरी कलकल कहे हर पल कहे
ख़ुद से जुदा रख कर मुझे तू बे-सुरीला मत बना

  - Meenakshi Masoom

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