दफ़्न अपनी मिट्टी में होना था मुझे - Ankur Mishra

दफ़्न अपनी मिट्टी में होना था मुझे
एक दिन अपनी तरह लगना था मुझे

चल पड़ा मैं थाम कर उसका हाथ फिर
दूर जिसकी छाॅंव से जाना था मुझे

बाग़बाॅं हैरान था ख़ुद ये देखकर
सोच कितना और मुर्झाना था मुझे

ज़ख़्म ताज़ा है अभी भी वो जिस्म पे
राब्ता ख़ुद से नहीं रखना था मुझे

मर गया अंकुर जवानी में इसलिए
सौदा दोनों आँखों का करना था मुझे

- Ankur Mishra
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