एक क़तरा भी तुझको मयस्सर नहीं - Ankur Mishra

एक क़तरा भी तुझको मयस्सर नहीं
आसमाँ पे अगर तेरा जो घर नहीं

ख़ामखा ज़िंदगी ज़िंदगी करता है
क्या तुझे मौत का कोई अब डर नहीं

उम्र भर ख़त्म होती नहीं दौड़ ये
तूने शायद कभी देखा अंबर नहीं

छोड़ दे अब तो तिल तिल तू मरना यहाँ
अब तो तुझको किसी का कोई डर नहीं

जान जानी है तो जाएगी ही बशर
जो बना तू अगर तेरा सरवर नहीं

- Ankur Mishra
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