आज नज़र से गिर बैठे हैं पर पहले अनमोल रहे थे
एक अकेले तुम क्या सारे भँवरे उन पर डोल रहे थे
मैंने सोचा था कुछ अच्छी बात करेंगें लेकिन वो तो
पूरे वक़्त तरक़्क़ी अपनी और हमारी तोल रहे थे
बातें मीठी-मीठी ही थी लेकिन ख़ूब बुझी थी विष में
मेरी उम्मीदों के रस में वो अपना विष घोल रहे थे
आइंदा उनके घर आना-जाना कौन क़ुबूल करेगा
मुझमें इतनी गहराई से वो ज़र-ओ-माल टटोल रहे थे
वो अपनी औक़ात दिखाकर चाह रहे थे जो समझाना
हम पहले ही जान चुके पर करते टाल-मटोल रहे थे
गाड़ी बंगला सोना चाँदी बैंक एकाउँट इनकम-विनकम
सबका ख़ूब मिलान किया फिर सुपर-डुपर बन बोल रहे थे
इन शब्दों में सच्चाई है 'नित्य' कोई संदेह न रखना
अंतर है केवल इतना-भर बिकते ये बेमोल रहे थे
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