ये मैं आज कल सबसे क्या पूछता हूँ
तेरे गाँव का रास्ता पूछता हूँ
मुझे ये उदासी बहुत भाती है सो
अज़िय्यत का सबसे पता पूछता हूँ
किसी ने अगर वक़्त माँगा तो पहले
मुझे इसमें क्या है नफ़ा पूछता हूँ
परेशान हूँ इश्क़ के रोग से सो
जहाँ जाता हूँ बस दवा पूछता हूँ
चलो कम से कम अब मैं मर तो रहा हूँ
बिछड़ कर तुम्हें क्या मिला पूछता हूँ
मुझे क्यों ये शमशान लाया गया है
मुझे ऐसा भी क्या हुआ पूछता हूँ
यहीं तो थी सल्फास की एक गोली
कहाँ रख दिए हो बता पूछता हूँ
मेरी बात क्यूँ आप सब सुन रहे हैं
कि क्या है यहाँ माजरा पूछता हूँ
वो 'पीयूष' जो मर रहा था मरा क्या
अरे यार ठहरो ज़रा पूछता हूँ
As you were reading Shayari by Piyush Nishchal
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