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झूठ से, सच से, जिससे भी यारी रखें  - Rahat Indori

झूठ से, सच से, जिससे भी यारी रखें
आप तो अपनी तक़रीर जारी रखें

बात मन की कहें या वतन की कहें
झूठ बोलें तो आवाज़ भारी रखें

इन दिनों आप मालिक हैं बाजार के
जो भी चाहें वो कीमत हमारी रखें

आपके पास चोरों की फेहरिस्त है
सब पे दस्त-ए-कर्म बारी बारी रखें

सैर के वास्ते और भी मुल्क़ हैं
रोज़ तैयार अपनी सवारी रखें

वो मुकम्मल भी हो ये ज़रूरी नहीं
योजनाएं मगर ढ़ेर सारी रखें

- Rahat Indori

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