पीते हैं नवाबों सा कि जाना भी नहीं है
हम मय-कशों का कोई ठिकाना भी नहीं है
तुम भी किसी शहज़ादे की औलाद नहीं हो
और अपना कोई ऐसा घराना भी नहीं है
कहना कि मुहब्बत वो करे आख़िरी हद तक
और शर्त ये होगी कि सताना भी नहीं है
बे-शक हमें तुम छोड़ के जा सकते हो ऐ दोस्त
तुमने तो अभी ठीक से जाना भी नहीं है
जी में कभी आता है मुहब्बत ही करें हम
पर क्या करें जो हमको निभाना भी नहीं है
बे-शक़ कि दिवानों की हिफ़ाज़त में रखो चाँद
पर ये न कहो चाँद चुराना भी नहीं है
ये फ़ाहिशा ये हुक़्मराँ ये शबनमी चेहरे
अब क्या ही कहें ख़ैर ज़माना भी नहीं है
ये प्यार मुहब्बत वफ़ा इख़्लास की बातें
जाओ कि हमें प्यार निभाना भी नहीं है
क्या हो गया जो कर लिया औलाद ने तौबा
ऐ दोस्त भरोसे का ज़माना भी नहीं है
जाएँगे तुम्हें छोड़ के हम ऐसे किसी दिन
जैसे कि कभी लौट के आना भी नहीं है
इन तितलियों का पीछा तो अब छोड़ दो राकेश
रोने के लिए अब कोई शाना भी नहीं है
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