आपने पूछा है मुझको क्या चाहिए
सच कहूँ तो मुझे मशवरा चाहिए
ज़ख़्म भरने नहीं इन दवाओं से अब
यूँ समझ लीजिए बस दुआ चाहिए
अब नहीं चाहिए कोई मंज़िल मुझे
हूँ मुसाफ़िर मुझे रहनुमा चाहिए
है अगर दुनिया में कुछ बुरा वो बुरा
बद से बदतर मुझे वो बुरा चाहिए
साहिब-ए-दर्द बस आप इतना कहें
किस तरह दर्द में चीख़ना चाहिए
अब के इस साल मैं रो चुका हूँ बहुत
तुमको ऐ आँसुओं सूखना चाहिए
ये ठहर जाने का वक़्त बिल्कुल नहीं
चल पड़ो गर मक़ाम-ए-फ़ना चाहिए
मिल चुके हैं मुझे बा-वफ़ा तो बहुत
अब के मुख़्लिस मुझे बेवफ़ा चाहिए
तुम भला क्यूँ मुझे दे रही हो दुआ
तुमको तो बस मुझे कोसना चाहिए
रोज़ करता हूँ मैं कोशिशें ख़ुदकुशी
हो नहीं पाती बस हौसला चाहिए
अब ज़रूरत नहीं है किसी और की
एक मैं और बस एलिया चाहिए
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