यहाँ पर मसअला मुश्किल नहीं होता जुदा करना
कभी तो आशिक़ों के हाल पर जाकर दुआ करना
तड़पता देखता हूँ आशिक़ों को दिल दहलता है
ख़ुदा गर हो सके इस दर्द की कोई दवा करना
तअ'ल्लुक़ ख़त्म भी होता नहीं मर कर यहाँ सबका
वफ़ाएँ फिर सिखाती हैं वफ़ा करना वफ़ा करना
यही कहता रहा सबको कभी तुम उस गली जाना
बचा लेना नज़र अपनी मुहब्बत से बचा करना
सुख़न-वर को मिला करती नहीं मंज़िल मुहब्बत में
तुझे कहता भी था उस्ताद लोगों से मिला करना
तिरी महफ़िल तिरी दुनिया चला हूँ आज ठुकरा कर
कभी जब याद आए तो सितारों से कहा करना
गई जबसे मुझे ये बोल कर माँ याद आती है
मिलेगा कुछ नहीं रो कर तुझे तू ख़ुश रहा करना
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