तुमको तो काटते हुए बस इक शजर दिखा - Sanyam Bhatia

तुमको तो काटते हुए बस इक शजर दिखा
पर मुझको बेक़सूर परिंदों का घर दिखा

फ़रहाद अपनी कोहकनी का गुमाँ न कर
उसके बग़ैर एक भी शब काट कर दिखा

इक तन्हा तीरगी में गुज़ारी है ज़िंदगी
पाया न रहगुज़र न कोई हमसफ़र दिखा

ऐसी ज़बाँ बता जो बयाँ कर सके तुझे
जिसमें सिमट सके तू इक ऐसी नज़र दिखा

- Sanyam Bhatia
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