फिर से वही जो कुछ रवानी चाहिए
क्या बात है की शब जलानी चाहिए
लग कर गिरे है उसके होठों से सुनो
मुझको वही सो रग पुरानी चाहिए
कोई नयी बातें नहीं अब यार वो
इक जिस्म को फिर से जवानी चाहिए
मैं जो किसी से कह नहीं पा'ता अदू
क्या अब दिवारों से छुपा'नी चाहिए
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