बस यही सोच के दिल मेरा दुखा करता है
मेरा अपना ही मिरे साथ दग़ा करता है
लाख मुह फेर ले कोई या बना ले बातें
देखने वालों को सब साफ़ दिखा करता है
दुश्मनी हो या मोहब्बत हो मगर ज़ाहिर हो
आग कम हो तो धुआँ और उठा करता है
तेरे दीदार से आती थी चमक आँखों में
तेरा चेहरा मेरी आँखों में रहा करता है
बातों बातों में बहुत काम की बातें कर दूँ
पर यहाँ कौन मेरी बात सुना करता है
वो मुसीबत में बढ़ा देता है हिम्मत मेरी
मोजिज़ा वक़्त पे हर बार ख़ुदा करता है
तंग हालात में हूँ और सियह रात में हूँ
ऐसे हालात में दिल और दुखा करता है
सौ में इक-आध भला होता है वरना 'सोहिल'
जो मदद करता है एहसान किया करता है
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