यही सौदा हुआ था मेरा ग़म में ज़िंदगी के साथ
किसी भी हाल में जाना नहीं है ख़ुद-कुशी के साथ
मेरी ख़ुशियों में शामिल था भले सारा ज़माना दोस्त
मगर अपने ग़मों को काटा मैंने शायरी के साथ
यहाँ पे कौन अपने दिल में रक्खेगा मुझे यारो
मैं उसके शहर में आया हुआ हूँ मुफ़्लिसी के साथ
ख़ुदाया और कितने दिन मुझे मर मर के जीना है
वो कब तक मुझसे यूँ मिलती रहेगी बे-रुख़ी के साथ
बचाया करता था जो पल जो लम्हे उसकी ख़ातिर मैं
बिताने पड़ रहे हैं बेबसी में मय-कशी के साथ
अगर मुझसे मोहब्बत उसको होती ही नहीं है तो
ये मेरी ज़िंदगी कट जाए उसकी दोस्ती के साथ
मुझे उसके पिता से माँगना है हाथ उसका सो
मिलाना पड़ रहा है हाथ मुझको नौकरी के साथ
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