मेरी हम-नफ़स तू कहीं तो मिल मेरी नेकियों के सवाब में
तुझे ढूँडता हूँ मैं आज-कल मेरी ज़िन्दगी की किताब में
जो नज़र से तू ने पिला दिया यूँ छुपा के ख़ुद को नक़ाब में
ये नशा मिलेगा कहाँ हमें किसी मय-कदे की शराब में
तुझे इश्क़ है तो बता मुझे, मुझे यूँ न रख तू सराब में
तेरे लब अगर ये न कह सकें तो नज़र झुका दे जवाब में
तू मिला तो तुझ से है दिल-लगी तू नहीं तो तुझ से गिला नहीं
तेरा ग़म भी मैंने है लिख लिया ग़म-ए-दो-जहां के हिसाब में
Our suggestion based on your choice
As you were reading Shayari by Haider Khan
our suggestion based on Haider Khan
As you were reading Gham Shayari