तुम्हारी उदासी में बरकत हो जाए
तुम्हें गर किसी से मोहब्बत हो जाए
जिसे अपने दिल में बसा के रखे हो
उसे फिर किसी और की हसरत हो जाए
बहुत हो गया खेल यादों का अब तो
उदासी की अब मेरे हिजरत हो जाए
कोई ख़ैरियत उसकी मुझको बताए
मेरे दिल को थोड़ी सी राहत हो जाए
तुम्हारे जतन मैंने कितने किए थे
इसी बात पर फिर वकालत हो जाए
मैं अपनी मोहब्बत ख़रीदूँगा इक दिन
मेरे पास थोड़ी सी दौलत हो जाए
मैं नख़रे तुम्हारे उठा लूँगा सारे
मुझे पहले सुनने की आदत हो जाए
मोहब्बत की बातें करें प्यारी प्यारी
वो सुन के ये सब बातें शर्बत हो जाए
वो लड़का तुम्हें छोड़ दे ये मैं सोचूँ
किसी दिन ये सब फिर हक़ीक़त हो जाए
वो मेरी मोहब्बत में तड़पे किसी दिन
उसी दिन मुझे उससे नफ़रत हो जाए
बहुत मेरे दिल में रही है मेरी जाँ
तो क्या उसकी यादों की ख़िदमत हो जाए
मुझे तुम बहुत अच्छी लगती हो जानाँ
मुझे तुम मिलो ऐसी क़िस्मत हो जाए
भमर चंद और कुछ नहीं चाहिए फिर
कि 'हैदर' की थोड़ी हुकूमत हो जाए
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