साथ उसका जावेदाना चाहिए
यानी मुझको क़ैद-खाना चाहिए
कब तलक बन कर मुसाफ़िर ही रहे
अब हवा को भी ठिकाना चाहिए
इक घड़ी को भी नहीं रुकती नदी
तुमको भी मिलना-मिलाना चाहिए
हाल पर मेरे कभी हंँसता नहीं
आईने से दिल लगाना चाहिए
हर किसी को बे-दिली हासिल नहीं
लुत्फ़ इनका भी उठाना चाहिए
सब नसीहत है यहाँ सच्ची मगर
इश्क़ में मिटना-मिटाना चाहिए
Read Full