सफ़र के बाद भी मुझ को सफ़र में रहना है
नज़र से गिरना भी गोया ख़बर में रहना है
अभी से ओस को किरनों से पी रहे हो तुम
तुम्हें तो ख़्वाब सा आंखों के घर में रहना है
हवा तो आप की क़िस्मत में होना लिक्खा था
मगर मैं आग हूं मुझ को शजर में रहना है
निकल के ख़ुद से जो ख़ुद ही में डूब जाता है
मैं वो सफ़ीना हूं जिस को भंवर में रहना है
तुम्हारे बाद कोई रास्ता नहीं मिलता
तो तय हुआ कि उदासी के घर में रहना है
जला के कौन मुझे अब चले किसी की तरफ़
बुझे दिए को तो 'आदिल' खंडर में रहना है
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