रोते रोते भी यकायक मुस्कुराना चाहिए - Tarun Pandey

रोते रोते भी यकायक मुस्कुराना चाहिए
गर बुरे दिन हों तो ख़ुद को आज़माना चाहिए

इम्तिहान-ए-'इश्क़ में क़ुर्बान कर दी हर ख़ुशी
अब ग़मों को ख़ुदकुशी का इक बहाना चाहिए

नीच हूँ इतना कि जीने की दुआ देकर तुम्हें
सोचता हूँ मैं, तुम्हारा दिल दुखाना चाहिए

रेलगाड़ी गर चले तो शहर मेरा लाँघ दे
मुझको जंगल में बना इक आशियाना चाहिए

रोज़ चेहरे पर लगा चेहरा लिए फिरता हूँ मैं
अब भले लोगों से भी ख़ुद को बचाना चाहिए

सूरत-ए-ज़ेबा किसे अच्छी नहीं लगती ख़ुदा !
ख़ैर, अव्वल तो हुनर को जगमगाना चाहिए

- Tarun Pandey
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