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अपने बच्चों से बहुत डरता हूँ मैं - Zubair Ali Tabish

अपने बच्चों से बहुत डरता हूँ मैं
बिल्कुल अपने बाप के जैसा हूँ मैं

जिनको आसानी से मिल जाता हूँ मैं
वो समझते है बहुत सस्ता हूँ मैं

जा नदी से पूँछ शैराबी मेरी
किस घड़े ने कह दिया प्यासा हूँ मैं

मेरी ख्वाहिश है कि दरवाजा खुले
वरना खिड़की से भी आ सकता हूँ मैं

दूसरे बस तोड़ सकते है मुझे
सिर्फ अपनी चाबी से खुलता हूँ मैं

- Zubair Ali Tabish

Life Shayari

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