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शायर होना ऐसा वैसा खेल नहीं - Aditya

शायर होना ऐसा वैसा खेल नहीं
जज़्बातों को बहर में कहना खेल नहीं

हम तो वो है जिनके खूँ में गर्मी है
अपनी खातिर जंग सा दूजा खेल नहीं

आए दिन नाराज़ वो मुझसे रहती है
यार मुहब्बत मेरे बस का खेल नहीं

हर शख़्स को प्यार मिले ये नामुमकिन है
हर इक ख़्वाब का पूरा होना खेल नहीं

हर मोड़ पे पत्थर जैसे लोग मिलेंगे
दरियाओं सा बहते रहना खेल नहीं

- Aditya

Khwab Shayari

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