मेरी सीरत भी तो मेरी अबस सूरत से मिलती है
मियाँ बद-क़िस्मती इतनी बड़ी क़िस्मत से मिलती है
यहाँ अब हँसना ही आसान है सो हँस रहे हैं सब
कि रोने की रिआयत आज-कल मन्नत से मिलती है
बनोगे हद से ज़्यादा अच्छे तो जाओगे तुम दोज़ख
मुझे इक ऐसी धमकी बारहा जन्नत से मिलती है
तुम्हारे सामने आने से कतराना नहीं है सहल
ये ऐसी बुज़दिली है जो बड़ी हिम्मत से मिलती है
हाँ ये माना कि ख़ुशियों को ख़रीदा जा नहीं सकता
मगर यारो उदासी भी कहाँ दौलत से मिलती है
उसी संगम पे आती है नहाने कामयाबी भी
मशक़्क़त करने की निय्यत जहाँ हसरत से मिलती है
यही इक फ़लसफ़ा हर वस्फ़ से वाबस्ता है अबतर
नहीं मिलती है जो नेमत से वो मेहनत से मिलती है
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