कभी ज़रा पास आ के बैठो नयी जवानी चहक रही है
नई उमंग इक नई तरंग इक नये चमन में चमक रही है
मैं आज जो भी कहूँगा तुम से वो सच है जानम ये जान लो तुम
हर एक मिसरे से इस ग़ज़ल के मिरी मुहब्बत छलक रही है
निगाह में इक हया है क़ायम ये तेज़ साँसें ये सुर्ख़ आरिज़
मुझे ख़बर है मुझे पता है दबी नज़र से वो तक रही है
ज़माना चाहे जो आज कर ले नहीं रुकेंगे क़दम हमारे
जिस आग से आफ़ताब रौशन वो आग दिल में धधक रही है
नया नया है ये इश्क़ प्यारे नया नया ये मुग़ालता है
वो बीरबल की पुरानी खिचड़ी नये तरीक़े से पक रही है
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