हम-नज़र दर-दर भटक कर याद करना तुम मुझे

  - Bhavesh Lohani

हम-नज़र दर-दर भटक कर याद करना तुम मुझे
मैं नज़र कम आऊँगा पर याद करना तुम मुझे

बादलों हर हद भुला कर याद करना तुम मुझे
बारिशों घर-घर बरस कर याद करना तुम मुझे

मैं निभाऊँगा बहुत शिद्दत से इस किरदार को
ऐ कहानीकारों पल भर याद करना तुम मुझे

ख़त जलाकर सोचना ये क्या हुआ ये क्यों हुआ
दिल किताबों में ही रखकर याद करना तुम मुझे

सुबह की उम्मीद के सुर गुनगुना आ बैठना
कुछ घनेरी रात जगकर याद करना तुम मुझे

थाम कर अपने जिगर को ज़िंदगी पर ज़ोर दो
मौत के आगे भी डटकर याद करना तुम मुझे

तय शुदा है वस्ल लम्हे हिज्र सारी ज़िंदगी
क़ायदे से रोज़ जमकर याद करना तुम मुझे

जोश में भी होश रखकर तुम परों को ढील दो
ख़्वाब को आँखों में भरकर याद करना तुम मुझे

  - Bhavesh Lohani

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