अगर तू चाहती है बस तेरा बखान रहे

  - Dharmendra Asar

अगर तू चाहती है बस तेरा बखान रहे
लगा ले दिल किसी शायर से तू जवान रहे

तेरे बदन की बनावट पे इसलिए फिसला
कि तेरे हुस्न का क़ायम वही गुमान रहे

समेट लूँगा तुझे जान-ए-मन मैं बाँहों में
तू लहर है तो मैं दरिया हूँ ये भी ध्यान रहे

तुझे जो देख न पाए उन्होंने गुण गाए
तुझे जो देख के लौटे वो बे-ज़बान रहे

नहीं तू साथ ये अफ़्सोस है मगर ख़ुश हूँ
मिले थे इश्क़ में जो साथ वो निशान रहे

जँचे न तेरी नज़र में कभी कोई चेहरा
और इस ज़मीन पे क़ायम मेरा मकान रहे

  - Dharmendra Asar

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