हवाओं को ख़रीदा जा रहा है
चिराग़ों को जलाया जा रहा है
ग़रीबों को मिले इंसाफ़ कैसे
सबूतों को मिटाया जा रहा है
अगर पूछो मोहब्बत तो बहुत है
मगर माँ को सताया जा रहा है
करेगा कौन तुम पे अब भरोसा
सुना है सच छुपाया जा रहा है
घरों से कौन कालिख़ को निकाले
मोहब्बत का जनाज़ा जा रहा है
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