तेरा चेहरा देख लिया
मैं ने धोका देख लिया
चेहरे की तह में मौजूद
इक और चेहरा देख लिया
झूट कपट मक्कारी का
लम्बा अर्सा देख लिया
सात बरस और नौ मह को
कर के ज़ाया देख लिया
क्या रक्खा है पास तिरे
ये भी लहजा देख लिया
दरिया के घर में रह के
ख़ुद को प्यासा देख लिया
छोड़ दिया मिलना सब से
ख़ाली कमरा देख लिया
तन्हाई भी ख़ूँ रो दे
ऐसा तन्हा देख लिया
चल ख़ुश रह तेरी ख़ातिर
तेरा चूड़ा देख लिया
रोती क्यों है तू ने तो
चख के पैसा देख लिया
सब हासिल कब होता है
वक़्त का काँटा देख लिया
वाक़िफ़ हूँ हालत से तिरी
तुझ को सहता देख लिया
उस ने ऐसी गत की है
फिर भी हँसता देख लिया
सह लेती हैं दुख भी गर
हो जो पैसा देख लिया
दौलत का जादू-टोना
आख़िर चलता देख लिया
कारण उस इक शख़्स के हाए
हम ने क्या-क्या देख लिया
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