गीत सुनते हैं कोई दिल को लुभाने वाला

  - Naaz ishq

गीत सुनते हैं कोई दिल को लुभाने वाला
नींद तो ले उड़ा है ख़्वाब दिखाने वाला

बिलकुल ऐसे ही तुम्हें प्यार किया था हम ने
जिस तरह रंगों से तस्वीर बनाने वाला

हिज्र में क्या है कि पत्थर हुए जाते हैं हम
ढूॅंढ लाओ वो शब-ओ-रोज़ रुलाने वाला

हाथ जोड़े खड़ा था जो न पसन्द आया उसे
रास आएगा कोई हाथ उठाने वाला

झील सी आँखों की तारीफ़ ही करनी थी बस
काम बेकार किया अश्क उठाने वाला

टूट के बिखरे भी तो ख़ैर कोई बात नहीं
दौर अच्छा था मगर ख़्वाब सजाने वाला

क्या अजब शख़्स है वो तरक- ए-मुहब्बत करके
मुझ में अब ढूॅंढता है दोस्त पुराने वाला

दिल शब-ओ-रोज़ मुझे कहता है लानत है नाज़
कि पशेमाँ भी नहीं छोड़ के जाने वाला

  - Naaz ishq

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