लबों पे नाम रहा है तेरा दुआ की तरह
बदल गया मगर ऐ दोस्त तू ख़ुदा की तरह
मुझे नहीं पता वो शख़्स बेवफ़ा था न था
निभा रहा था मगर मुझसे बेवफ़ा की तरह
शिकायतें थी गिले शिकवे और सवाल बहुत
जो रह गए हैं मेरे दिल में अलविदा की तरह
वो जानता है कि उसने ग़लत किया मेरे साथ
सो उसने यादों को दिल में रखा सज़ा की तरह
इस एक शर्त पे हम इश्क़ दूसरा करलें
नशा अगर हो सके पहली मर्तबा की तरह
तेरा कु़सूर नहीं है कोई भी 'नाज़' कि वो
हर एक शख़्स को लगता है आश्ना की तरह
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