दीवानगी की सब हदों से यूँ गुज़र जाऊँगा मैं
वो नाज़नीं मेरी नहीं होगी तो मर जाऊँगा मैं
पहले मोहब्बत थी मगर अब इश्क़ होता जा रहा
अब छोड़ कर जाओगे तो पूरा बिखर जाऊँगा मैं
हम दोनों की दिल-जूइयाँ कुछ यूँ जुड़ी हैं साथ में
आँखों से तेरी गर बहें आँसू तो तर जाऊँगा मैं
मैं ज़ख़्म हूँ नासूर तू मरहम है कोई शाज़ सा
यक-सार हो जाएँ अगर दोनों तो भर जाऊँगा मैं
तुझ से वफ़ा-दारी निभाने की क़सम खा रक्खी है
वादा-ख़िलाफ़ी करनी भी चाही तो मर जाऊँगा मैं
तुम बात फ़ुर्क़त की कभी करना नहीं मुझ से सनम
लफ़्ज़-ए-जुदाई हिज्र फ़ुर्क़त सुन के डर जाऊँगा मैं
वो शख़्स मेरा आख़िरी हामी है दुनिया में 'मिलन'
उस से जुदा होने के बाद आख़िर किधर जाऊँगा मैं
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