हम दूसरे जहान के चक्कर लगाते हैं
जानाँ तिरे मकान के चक्कर लगाते हैं
हाथों को जोड़कर मैं उसे माँग लेता हूँ
तारे जब आसमान के चक्कर लगाते हैं
यारो मैं इश्क़ में हुआ हूँ जब से मुब्तला
यमराज मेरी जान के चक्कर लगाते हैं
जीवन गुज़ारना है किताबों के बीच में
अहल-ए-अज़ीम ज्ञान के चक्कर लगाते हैं
आवारा लड़के घूमते हैं उसकी चारों-ओर
कीड़े सब अच्छे धान के चक्कर लगाते हैं
ये जी-हुज़ूरी ख़त्म नहीं होगी आपकी
हर-बार हुक्मरान के चक्कर लगाते हैं
तेरे लिए ख़रीदे थे इस वास्ते मैं और
झुमके ये तेरे कान के चक्कर लगाते हैं
दुश्मन से भी निभाते हैं तहज़ीबी दायरा
अल्फ़ाज़ यूँ ज़बान के चक्कर लगाते हैं
अपनी हुदूद आज ही पहचान लो 'मिलन'
शाहीन आसमान के चक्कर लगाते हैं
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