मैं ही रूठूँ या तो रूठे ख़ुदा मुझसे
यही अब जान आती है सदा मुझसे
तेरी चाहत तेरी आदत मुहब्बत भी
ये सब यानी गलत ही तो हुआ मुझसे
जो होता है यहाँ अच्छा ही होता है
ये अच्छा भी हुए हो तुम जुदा मुझसे
तुम्हें कुछ दे नहीं सकता मगर फिर भी
फ़कीरी में निकलती है दुआ मुझसे
कुल्हाड़ी पेड़ पर जैसे रखी मैंने
सदा आयी, हुयी है क्या ख़ता मुझसे
बिना मेरे मरोगे एक दिन तुम सब
बड़ी आवाज़ में बोली हवा मुझसे
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