घर अपना इस तरह से बनाना नहीं मुझे
ये दौलत-ए-हराम कमाना नहीं मुझे
एक रोज़ ज़िन्दगी ने मिरे कान में कहा
अब और तिरा साथ निभाना नहीं मुझे
काफ़ी है तेरे इश्क़ में बदनाम हो गया
दुनिया में और नाम कमाना नहीं मुझे
देखो तमाम रात का जागा हुआ हूॅं मैं
सो जाऊँ मैं अगर तो जगाना नहीं मुझे
हैरत है सैफ़ उस से मुझे प्यार हो गया
वो जिसने अपना यार भी माना नहीं मुझे
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