जबसे कॉलेज में मेरे आई हो आप
दिल का सारा सुकूँ चुराई हो आप
मैं हमेशा उदास रहता था
मेरे हिस्से में ख़ुशियाँ लाई हो आप
दिल पे अब मेरा इख़्तियार नहीं
जबसे दिल को पड़ी दिखाई हो आप
मैंने तुमको ख़ुदा से माँगा है
तब मेरी ज़िन्दगी में आई हो आप
नाम की तरह हू-ब-हू अपने
ख़ूबसूरत भी इंतिहाई हो आप
आपने वादा फिर वफ़ा न किया
आज भी देर से ही आई हो आप
पुर ख़तर राहों पर ख़ुदा की क़सम
हाँ मेरी करती हमनवाई हो आप
जबसे देखा है तुमको हैराँ हूँ
इतनी क्यों यार पारसाई हो आप
राज़ की एक बात बतलाऊँ
मेरी आँखों की रौशनाई हो आप
गुल नहीं था वो दिल हमारा था
जिसको रस्ते में फेंक आई हो आप
चाँद जैसे हसीन चेहरे से
इस ज़माने को जगमगाई हो आप
जब मोहब्बत की बात की हमने
हर दफ़ा बात को घुमाई हो आप
जल रहे हैं मुनाफ़िक़ों के जिगर
मुझको डी पी पे क्यों लगाई हो आप
रोज़-ए-महशर ख़ुदा करेगा सवाल
दिल शजर का दुखा के आई हो आप
जाओ पागल शजर की छाँव में
धूप में क्यूँ निकल के आई हो आप
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