ख़ुश अगर रहना है तो फिर मौसिकी में रह के देखो
तुम भला कुछ दिन तो मेरी ज़िंदगी में रह के देखो
ख़ूबसूरत तुम बहुत हो अप्सरा भी तुम लगोगी
साथ मेरे बैठो मेरी शायरी में रह के देखो
तुमने कैसे कह दिया ये शहर ही अच्छा नहीं है
आओ तुम कुछ दिन यहाँ मेरी गली में रह के देखो
As you were reading Shayari by Shubham Vaishnav
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