देर तक ख़ूब याद करते हैं
काम सब मेरे बाद करते हैं
मंज़िलें तो ग़ुलाम हैं उनकी
जो लगन से जिहाद करते हैं
तुमको तो याद ही नहीं आती
और हम रोज़ याद करते हैं
हम किसी से भी कुछ नहीं कहते
रोज़ दंगा-फ़साद करते हैं
मैं मोहब्बत से बात करता हूँ
वो हमेशा विवाद करते हैं
उनको ख़ुशियाँ पसंद हैं फिर भी
मेरे ग़म की मुराद करते हैं
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