कहीं है तो नहीं कोई कि पहले सब में देखा कर
फिर उसके बाद में मुझ पर गुल-ए-अहमर तू फेंका कर
अरे ओ कान के झुमके तू अपनी हद में झूमाकर
मिरे महबूब की गर्दन बिना पूछे न चूमाकर
बड़ी बदनामी होगी यार तेरी भी कि मेरी भी
किसी के सामने मुझ पर गुल-ए-अहमर न फेंकाकर
अगर तेरी गली के लोग तुझ पर ही नज़र रखते
बुरा मत मानना उनका मिरी गलियों में घूमाकर
मोहब्बत करने के मुझसे जो सपने देखता है तू
कहाँ मैं हूँ कहाँ तू है कि पहले ये भी सोचाकर
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