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उजलत में वो देखो क्या क्या छोड़ गया  - Aisha Ayyub

उजलत में वो देखो क्या क्या छोड़ गया
अपनी बातें अपना चेहरा छोड़ गया

मुझ से एक कहानी सुनने आया था
और मुझ में वो अपना क़िस्सा छोड़ गया

ख़्वाब-ज़दा था बातें करता रहता था
रोने वालों को भी हँसता छोड़ गया

दिल के इक कोने में आहें रक्खी हैं
जाने वाला अपना हिस्सा छोड़ गया

जितनी यादें ले के हम को मरना था
उतनी साँसें दे के ज़िंदा छोड़ गया

दीवारों से लग के रो लेते होंगे
जिन को उन का साया तन्हा छोड़ गया

कमरे से जिस दिन उस की तस्वीर हटी
आईने ने देख के पूछा छोड़ गया

- Aisha Ayyub

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