0

अब नहीं लौट के आने वाला  - Akhtar Nazmi

अब नहीं लौट के आने वाला
घर खुला छोड़ के जाने वाला

हो गईं कुछ इधर ऐसी बातें
रुक गया रोज़ का आने वाला

अक्स आँखों से चुरा लेता है
एक तस्वीर बनाने वाला

लाख होंटों पे हँसी हो लेकिन
ख़ुश नहीं ख़ुश नज़र आने वाला

ज़द में तूफ़ान की आया कैसे
प्यास साहिल पे बुझाने वाला

रह गया है मिरा साया बन कर
मुझ को ख़ातिर में न लाने वाला

बन गया हम-सफ़र आख़िर 'नज़्मी'
रास्ता काट के जाने वाला

- Akhtar Nazmi

Miscellaneous Shayari

Our suggestion based on your choice

More by Akhtar Nazmi

As you were reading Shayari by Akhtar Nazmi

Similar Writers

our suggestion based on Akhtar Nazmi

Similar Moods

As you were reading Miscellaneous Shayari